फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा कौन सी है। Fatty Liver in Hindi |
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परिचय
फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा कौन सी है? हैलो दोस्तों। स्वागत है। आपका सॉल्यूशन डैडी प्लेटफार्म पर। और आज हम बात करेंगे फैटी लीवर के बारे में। दोस्तों फैटी लीवर की बीमारी भारत में बहुत तेजी से पनप रही है। और फैटी लीवर के मरीज दिन व दिन बढ़ते जा रहे हैं। आज जानेंगे इस लेख में।
दवा का नाम (Drug Name) | फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा |
दवा का प्रकार (Drug Type) | टेबलेट, सीरप |
रचना (Composition) | सिलिमरिन, लीवर टॉनिक (लिव 52), Ursodeoxycholic Acid, लीवर आयुर्वेदिक टैब |
निर्माता (Manufacturer) | अलग अलग कंपनी |
उपयोग (Uses) | फैटी लीवर, हिपेटिक लीवर, पेट दर्द, उलटी |
डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन | आवश्यक नहीं |
मूल्य (Price) | अलग रेट्स पर उपलब्ध |
फैटी लीवर क्या है?
शरीर में किसी भी तरह की फैट का जमना अच्छा नहीं होता। जब भी हमारी शरीर में वसा का संचयन होता है। तो यह बहुत सारी बीमारियों को जन्म देता है। फिर वसा का संचयन पूरे शरीर में हो। या किन्ही अंगों पर। लीवर या यकृत हमारे शरीर का बहुत महत्वपूर्ण अंग है। लीवर भोजन को पचाने में और बॉडी में से जहरीले टोक्सिंस को निकालने में मदद करता है। और ग्लूकोस को संचयित करने में भी लीवर का बहुत बड़ा रोल होता है।
जब भी वसा का संचयन लीवर या यकृत पर होता है। तो इसको फैटी लीवर कहते हैं। फैटी लीवर होने के कारण शरीर में अपच की समस्या और गैस की समस्या हो जाती है। फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा से वेहतर आयुर्वेदिक दवा है। और इसका उपचार समय से नहीं किया तो हमारा शरीर कई बिमारियों से घिर जाता है। फैटी लीवर दो प्रकार का होता है।
- एल्कोहोलिक फैटी लिवर– शरीर के जहरीले पदार्थो को अपवर्तित करने का काम लीवर का होता है। यह बीमारी उन व्यक्तियों में होती है। जो लोग शराब या मदिरा का सेवन करते हैं। यदि फैटी लिवर होने के बावजूद भी शराब के सेवन जारी रखते हैं। तो आगे चलकर सिरोह्सिस और हेपेटाइटिस का रूप ले लेता है।
- नॉन एल्कोहोलिक फैटी लीवर– इस प्रकार का फैटी लीवर शराब पीने से नहीं वल्कि की दिनचर्या और खानपान की वजह से होती है। जो अपने भोजन ज्यादा तेल और घी खाते हैं। और कसरत नहीं करते सिर्फ बैठे रहते हैं। उनको यह बीमारी ज्यादा होती है।
फैटी लीवर के नुकसान
जैसा की आप जानते हैं। हमारा लीवर हमारे शरीर के टोक्सिंस या जहरीले रसायन को हमारे शरीर से बहार निकलने का काम करता है। और यदि फैटी लिवर की वजह से यह काम करना कम कर दे तो हमारे शरीर में बहुत सारी बीमारियाँ घर बना लेती हैं। जिसमे अपच, पेट में जलन, गैस, एसिडिटी, सीने में दर्द, खट्टी डकार, जैसी समस्याएँ हो जाती हैं। और हमारा शरीर सुडौल नहीं रहता। फैटी लिवर का पता चलते ही इसका उपचार कराना चाहिए। फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा नहीं वल्कि आयुर्वेदिक दवा अच्छा काम करती है।
फैटी लीवर के लक्षण क्या है?
यदि आपके शरीर में ज्यादा वसा संचयित है। और आपके पाचन में दिक्कत होती है। तो आपको फैटी लिवर हो सकता है। फैटी लीवर अगर ज्यादा समय से है तो आपकी स्किन और ऑंखें पीली हो जाती हैं। फैटी लीवर में आयुर्वेदिक दवा काम करती है फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा अच्छा काम नहीं करती है। फैटी लीवर के लक्षण निम्न हैं।
- उलटी होना।
- गैस और एसिडिटी होना।
- अपच की शिकायत होना।
- सीने में जलन होना।
- थकान होना।
- बजन बढना।
फैटी लीवर के टेस्ट कौन कौन से होते हैं?
यदि आपको उपरोक्त लक्षण दिखाई दें। तो आपको एक रजिस्टर्ड चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए। यदि उनको लगता है की यह लक्षण फैटी लिवर के कारण है। तो वोह आपको कुछ टेस्ट लिख कर देते हैं। जिनमे लीवर फंक्शन टेस्ट (LFT) और अल्ट्रासाउंड KUV या Whole Abdomen (पूरे पेट की जांच) लिख कर देते हैं। इन जांचों से कन्फर्म हो जाता है। कि आपको फैटी लिवर है या नहीं। यदि फैटी लीवर निकलता है तो चिकित्सक आपको फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा या आयुर्वेदिक दवा देते हैं। जिससे फैटी लीवर ठीक हो जाता है।
फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा और आयुर्कौवेदिक दवा कौन सी है?
यदि आपको फैटी लीवर है। तो सबसे पहले आप चिकित्सक की सलाह लें खुद से कोई भी दवा का सेवन न करें। जब आप यह समस्या लेकर चिकित्सक (doctor) के पास जाते हैं। तो डॉक्टर कन्फर्म करने के लिए उपरोक्त जांचें लिखते हैं। और यदि यह कन्फर्म हो जाता है। मरीज को फैटी लीवर है। तो वह आपको फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा या आयुर्वेदिक दवा लिखते हैं। फैटी लीवर की कुछ अंग्रेजी दवाओं के नाम निम्न हैं।
- सिलिमरिन
- लीवर टॉनिक (लिव 52)
- Ursodeoxycholic Acid
- लीवर आयुर्वेदिक टैब
फैटी लीवर से बचाव।
फैटी लीवर से बचने के लिए अपनी डाइट (खानपान ) को दुरुस्त करें। टाइम से भोजन करें कुछ लोग देर रात को खाना खाते हैं। और उनका भोजन करने का कोई टाइम टेबल नहीं होता। जिस वजह से लीवर की काम करने की शक्ति पर काफी असर पड़ता है। और ज्यादतर लोग शराब या मदिरा का सेवन करते हैं। जिस वजह से फैटी लीवर होने के चांस बढ़ जाते हैं। फैटी लीवर से बचने के लिए भोजन में नमक, मिर्च, तेल, घी, का सेवन कम करें।
मासाहार से परहेज करें। बाहर के बने भोजन के सेवन से बचें। और फ़ास्ट फ़ूड न खाएं। और नियमित व्यायाम करें। यदि आपको फैटी लीवर से सम्बंधित कोई समस्या है। तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लें। खुद से किसी भी प्रकार की कोई दवा या बूटी का सेवन न करें। चिकित्सक आपको फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा या आयुर्वेदिक दवाएं परमर्षित कर सकते हैं। और इन दवाओं का सेवन भी चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही करें। अन्यथा आपको शारीरिक क्षति का सामना करना पड सकता है।
निष्कर्ष।
फैटी लीवर भारत में बहुत तेजी से फ़ैल रहा है। जिसका कारण सिर्फ लाइफस्टाइल और ऑयली भोजन है। दोस्तों आज हमने फैटी लिवर और फैटी लीवर की अंग्रेजी दवा के बारे में जाना। इस लेख में फैटी लीवर के बारे में विस्तार से वताया गया है। आशा करता हूँ आपको इस लेख से काफी हद तक सिखने को मिला होगा। यदि इस लेख से सम्बंधित आपका कोई प्रश्न या सुझाव हो तो हमसे निःसंकोच संपर्क करें। संपर्क करने की जानकारी contact us पेज पर उपलब्ध है। ज्यादा जानकारी के लिए हमारे सोशल मिडिया एकाउंट्स को लाइक और फॉलो करें।
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